अनकहा दर्द
अनकहा दर्द
कुछ अपने ऐसे होते हैं,
अपने होकर भी सपने होते हैं,
कह ना सकूं जिनसे दर्द अपना,
कुछ अपने ऐसे होते हैं।
साथ रहकर भी अनजान होते हैं,
पास रहकर भी दूर होते हैं,
कह ना सकूं जिनसे दिल की बातें,
कुछ अपने ऐसे होते हैं।
दर्द देने में माहिर होते हैं,
जान कर भी अंजान बनते हैं,
फिर भी याद आते हैं जो हमेशा,
कुछ अपने ऐसे होते हैं।
प्यार करते हैं फिर भी तड़पाना चाहते हैं,
दूसरों के कहने पर दूरियां बढ़ा लेते हैं,
भुला ना सको जिसको,
कुछ अपने ऐसे होते हैं।
चाहत है दिल में दिमाग से काम लेते हैं,
पैसे के आगे परिवार भूल जाते हैं,
अपनों की सुनते नहीं दूसरों की गुलामी करते हैं,
कुछ अपने ऐसे होते हैं।
