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Kaushik Dave

Abstract

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Kaushik Dave

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अनजान मैसेज

अनजान मैसेज

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ना सोचा सपनों में,

एक ऐसा दिन आयेगा,

अचानक एक अनजान मेसेज,

मेरे मोबाइल में आयेगा,


मैसेज पढ़कर मैं,

अचंभित हो गया,

अचानक एक मैसेज,

मेरे मोबाइल में आया,


जाना पहचाना नाम,

मुझे याद आ गया,

कॉलेज के दिनों की,

याद आ गई,


वो मैसेज मुझे,

मेरी क्लासमेट ने किया,

दस साल के बाद,

कोन्टेक्ट उस ने किया,


साथ साथ पढ़कर,

कॉलेज के दिन बिताए,

पुरानी यादों को,

आज ताजा कर दिया,


कॉलेज के बाद वो,

विदेश चली गई,

सुनने में आया,

कि शादी हो गई,


आज अभी तक मैं,

कंवारा रह गया,

अचानक एक मेसेज,

मोबाइल में आ गया,


ख़ुशी से मैं पागल हो गया,

मैसेज पढ़कर मैं,

गमगीन हो गया,

पूछो पूछो,


मैसेज में क्या लिखा था ?

मैसेज पढ़कर,

मैं गमगीन हो गया,

उसके पिता का,


देहांत हो गया,

क्रिया कर्म के लिए,

इंडिया आ गई,

साथ में लिखा था,


अकेली रह रही हैं,

जिंदगी में वह,

अकेली महसूस कर रही है।


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