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V. Aaradhyaa

Abstract Horror Tragedy

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V. Aaradhyaa

Abstract Horror Tragedy

अनहोनी

अनहोनी

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लक्ष्मण रेखा जीवन की जब लांघी जाती,

तब-तब मर्यादा तार-तार यहां पर होती !

फ़िर चाहें हो श्रद्धा सीता द्रोपदी या सती,

मूक रहने पर लज्जा उनकी कुर्बान होती !


आज दोराहे पे खड़ी है युवाओं की ज़िन्दगी,

जो किंकर्तव्यविमूढ़ हो गलत राह को चुनते हैं !

 क्या होगा इस दौर के युवा और नौनिहाल का,

जो अपने जीवन मकसद से ही भटक जाते हैं !


इस कदर बढ़ चुकी है प्रेम प्यार की दीवानगी,

कि, धर्म रीति रिवाज़ सभी कुछ भूला जाते हैं !

रह रहें संग-साथ, कई वर्षो से परिवार से अलग,

फ़िर भी एक दूज़े को ढंग से समझ नहीं पाते हैं !


आज माहौल दिन पे दिन बिगड़ता ही जा रहा,

सुनने में आ रहीं हैं नित नयी जुर्म की कहानियां !

शायद रह गयी हमारे दिए संस्कारों में कोई कमी,

तभी हो रहीं हैं निर्भया, श्रद्धा साथ जैसी अनहोनियां !


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