STORYMIRROR

Yaswant Singh Bisht

Tragedy Others

4.0  

Yaswant Singh Bisht

Tragedy Others

अंधेरी कोठरी

अंधेरी कोठरी

1 min
502


छोटे रौशनदानों से

चाँद की रौशनी

अंधकार भरी कोठरी में

कुछ लोगों से छिपकर

कुछ वीरों से मिलने

चली आती थी


जहां पीने के नाम पर

एक मटका,

सोने के नाम पर

एक कंबल,

बड़े ही संघर्ष पर मिले 

जहां एक समय

क्रांतियों ने जन्म लिया

देश की नीतियाँ बनी

वहां समय समय पर

कुछ बहादुर लोग

खुशी खुशी आते

और सुनहरे चाँद से

संदेशा बयां करते


वह चारदीवारी

आज भी वैसी ही है

फर्क इतना है

आज का चाँद 

उनसे बातें नहीं करता

कुछ छोटे चोर,

लुटेरे, जेबकतरे

आज भी

वहां पहुंच जाते हैं

मगर जिनके लिए

असल में वह बने थे

वह देश छोड़कर

भाग जाते हैं।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy