अनाज
अनाज
चारागरी हुआ कैसा इलाज़ है
अच्छा नहीं हुआ मेरा मिज़ाज है
घर में ही आ गयी रोठी की दिक्क़त है
इस बार कब हुआ यारों अनाज़ है
मिलनें का कर गया था वादा ए वफ़ा
ए यार वो मिला मुझसे न आज है
तू धूम तो ग़रीबों की बस्ती आकर
तू देख तेरा कैसा राम राज है
देगा सकूं ख़ुदा तेरे दिल को बहुत
आ चल ज़रा अब पढ़ले तू नमाज़ है
दिल तोड़कर वफ़ा वो प्यार में आज़म
वो पूछता कैसा तेरा मिज़ाज है।
आज़म नैय्यर
चारा गरी,,उपचार