फलसफा जिंदगी का
फलसफा जिंदगी का
जिंदगी की उलझनों में,
कई सपने अधूरे रह गए।
जीना था जिसके लिए,
वही पीछे रह गए।।
यूं तो खुशहाल हे सभी, इस बेरुखी दुनिया में।
पर दिल के एक कोने में, कई ज़ख्म रह गए।।
नादान लोग ही यहां, मजा ले रहे जिंदगी का ।
समझदार तो यूं ही, उलझने सुलझाते रह गए ।।
इस भरी महफ़िल में, लाखों अपने है मगर ।
जज्बात की जंगी भीड़ में,
सभी तनहा रह गए ।।
हर रोज सिखाती जिंदगी, एक नया फलसफा ।
न जाने इस किताब के, कितने पन्ने बाकी रह गए ।।