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Kavita Sharma

Abstract

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Kavita Sharma

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लकीर

लकीर

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इक लकीर खींच कर देश को सरहद में बाँध दिया

हाथों की लकीरों ने भाग्य दिखा दिया

जीवन रेखा छोटी है या बड़ी यह बात मामूली नहीं

किसी की जिंदगी में हो सकती है कीमती

इन लकीरों को खींच कर शब्द बन गये

कुछ सीधे तो की घुमावदार लिखे गये

पन्नों से किताबों का सफ़र है इन लकीरों का

इन किताबों को पढ़कर कोई ज्ञानी हो गया

चित्रकार ने जब तूलिका से खींचीं ऐसी लकीरें

मानो जीवंत रचनाएं बोल उठी हों जैसे

लकीरों का खेल है बड़ा चमत्कारी

इनके आगे दुनिया नतमस्तक है सारी 



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