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Dinesh Dubey

Abstract

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Dinesh Dubey

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गुप्त समाज

गुप्त समाज

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गुप्त समाज जो गुप्त रहे ,

गुप्त हो करते सारा काम ,

अपने मर्जी की सारे चलते,

जो दिल में आए वो कर लेते।


दुनिया की उनको परवाह नहीं,

लोक लाज से मतलब नहीं ,

ना रिश्तों से कोई लेना देना ,

ना कोई सोना न कोई पराया।


कल की कोई चिंता नहीं ,

हर पल आज की वो सोचे हैं ,

दुनिया वाले कुछ भी सोचे ,

वो करते अपने मन की हैं।।



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