गुप्त समाज
गुप्त समाज
गुप्त समाज जो गुप्त रहे ,
गुप्त हो करते सारा काम ,
अपने मर्जी की सारे चलते,
जो दिल में आए वो कर लेते।
दुनिया की उनको परवाह नहीं,
लोक लाज से मतलब नहीं ,
ना रिश्तों से कोई लेना देना ,
ना कोई सोना न कोई पराया।
कल की कोई चिंता नहीं ,
हर पल आज की वो सोचे हैं ,
दुनिया वाले कुछ भी सोचे ,
वो करते अपने मन की हैं।।