वो मकान
वो मकान
वो मकान था तो किराए का,
लेकिन आज भी याद है मुझे,
वो गर्मी के मौसम में खुली छत पर
तारों की गिनती
आज भी याद है मुझे
ठंडी पवन का झोंका,
देता था सुकूं मन को,
कभी कभी हल्की बरसात का होना,
आज भी याद है मुझे,
नीले आकाश में टूटते तारें का गिरना,
फिर मन में किसी खयाल का आना,
आज भी याद है मुझे,
वो भोर का उजियारा,
वो पक्षियों का कलरव,
आज भी याद है मुझे..