अमृत से भर दो
अमृत से भर दो
जीवन में लालित्य और माधुर्य
प्रेम और करुणा को लाओ,
अपने जीवन को रस मुस्कान
और अमृत से भर दो।
थोड़ा मुस्कुराना और हँसना सीखो
थोड़ा नाचना और गाना सीखो,
तब देखो तुम्हारे मन की
दुष्प्रवृत्तियॉं भाग जाती हैं।
मन की कुंठाएँ टूटें
विकार नष्ट हों,
हृदय में उठी अनुभूति का
कोई नाम नहीं, वह केवल भाव है।
एक बार प्रकृति की गोद में जाएँ
चाँदनी रात को निहारें,
सूर्य की रोशनी में स्नान करें
स्वच्छ वायु का सेवन करें।
शरीर को प्रसन्न रखें
मनमें स्वस्थ विचार रखें,
इन्द्रियॉं तेजवान् बनी रहें
प्राकृतिक ऊर्जा और रौनक़ बनी रहे।
अन्दर का विकास
व्यक्ति से व्यक्तित्व बनने का सफ़र ,
छोटी छोटी बातें ही
परिपूर्ण बनाती हैं जीवन को।