अलविदा
अलविदा
आज हम डर डर के हस रहे
बोल रहे है मन की ख्वाहिश
जो बीत गये छोड़ो उसके सारी बातें
बोलो अब यारों,अलविदा दोहजार इक्कीस।
फिर भी तुम नाराज कभी नहीं होना
जब हम बोले, अलविदा दोहजार इक्कीस,
अरे तू तो दिए सारे गम हमको
फिर भी जागी है ये ख्वाहिश।
जरा सोचो, सब ने तो कुछ खोया
सालभर हुआ सिर्फ दुःखो की बारिश,
अब और वो सब हमें झेलना नहीं
कहते है हम, अलबिदा दोहजार इक्कीस।
देखो अब कुछ नई खुशियाँ लेकर आरहा
एक नई उमँग लेकर दोहजार बाइस,
अभी खुशी से नाचेंगे गाएँगे झूमेंगे हम
कहेते है तुम्हे, अलबिदा दोहजार इक्कीस।
अब तू क्यूँ उदास है इस पल
जब हम कहते, अलबिदा दोहजार इक्कीस,
जो भी तू कर, तुझे जाना पड़ेगा
अब स्वागत करते हम दो हजार बाइस।