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Shashikant Das

Abstract

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Shashikant Das

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अलविदा 2020!!!

अलविदा 2020!!!

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एक नया सवेरा जिसमे जुड़ी है लाखों उम्मीद, 

मानो सबकी इच्छाओं ने छेड़ दी है अपनी ही ज़िद।


पीछे छोड़ आये हम एक ऐसा साल पुराना, 

जिसने सिखाया खुद में ही सिमट के कैसे है घबरा जाना।


भुला देना चाहता है हर दिल इसके ख़ौफ़ का नज़राना, 

खोल देना चाहता है दरवाज़े जिसके पीछे हो एक हसीन मायखाना।


चलना चाहता है साहिल पे अपने बिखरे ख़ुशियों को समेट के,

तन और मन को भीगो देना चाहता है ओस के बूँदों में लपेट के।


कम कर देना चाहता है हर दोस्ती और रिश्तों के फासलों को, 

उड़ जाना चाहता है स्वच्छंद आकाश में बड़ा के अपने हौसलों को।


दोस्तों, आने वाला कल खुद आ के तुमसे नहीं हाथ मिलाएगा, 

अपने बदले नज़रिये से इस नव वर्ष को देखो, ज़रूर हसीं पल तुम्हें दिखलायेगा।


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