अक्सर
अक्सर
अकसर टूट जाता हूँ मैं और
फिर से जुड़ने में जुट जाता हूँ मैं
शायद यही एक सत्य है जीवन का की
जुड़ना जरूरी होता है जब इंसान टूट जाता है
जब टुकड़े कई हो जाते है तब मैं देखता हूँ
वो कमजोर हिस्से और उनको मैं बदल देता हूँ
अकसर टूट जाता हूँ मैं और
फिर से जुड़ने में जुट जाता हूँ मैं
और फिर से जुड़ जाता हूँ,
एक और बार लड़ जाता हूँ मैं खुद से
यूँ ही मैं लड़ता रहूँगा और टूटना मंजूर है मुझे
पर कभी खुद से नहीं हारना
अकसर टूट जाता हूँ मैं
और फिर से जुड़ने में जुट जाता हूँ मैं
