पर ब्कौल एहल-ए-जहाँ तू वो नहीं जो टूट जाए पर ब्कौल एहल-ए-जहाँ तू वो नहीं जो टूट जाए
हम सब एक जुट हो जाए तो पार करेंगे हर शिखर हम सब एक जुट हो जाए तो पार करेंगे हर शिखर
अकसर टूट जाता हूँ मैं और फिर से जुड़ने में जुट जाता हूँ मैं अकसर टूट जाता हूँ मैं और फिर से जुड़ने में जुट जाता हूँ मैं
क्योंकि मैं हिंदुस्तान हूं। हां, मैं इंसान हूं हां मैं इंसान हूं। क्योंकि मैं हिंदुस्तान हूं। हां, मैं इंसान हूं हां मैं इंसान हूं।