तुझ से खुगर नहीं
तुझ से खुगर नहीं
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तुझ से खुगर नहीं के तेरी आदत छूट जाए
तू कोई तीर -ए-नीम कश नहीं जो मेरे दिल
से छूट जाए
मैं मानता था की तू रानाई-ए-खयाल है जो
टूट जाए
पर ब्कौल एहल-ए-जहाँ तू वो नहीं जो टूट
जाए
वो मानते है की हम वो नहीं जो तेरी याद
में घुट जाए
पर हम वहीं बा-दस्तूर है जो उनकी याद मैं
घुट जाए
"नीरव" चाहता है की तू कारवाँ-ए-गज़ल
से जुट जाए
पर तू गज़लों से खुगर नहीं के तू जुट जाए
