एक और एक ग्यारह
एक और एक ग्यारह
बूंद- बूंद जो मिलता साथ
धाराये तब बनती है।
धारा-धारा लिये हाथ में हाथ
एक नदी बनकर बहती है।
पवन का झोका बहता जब
थंडी पुरवाई देता है।
साथ में मिलकर तोड़े सब कुछ
आंधी तूफान जब बनती है।
जड़ से जड मिलकर बढे
जमीन में जाकर एकसाथ गडे
कल्पवृक्ष बन जाता है।
छाया देने वाला बर्गत वो कहलाता है।
सीख कितनी सुंदर सबको
जीवन के जीवन में मिलती है।
छोटी- छोटी मधुमख्खी भी मिलकर
शहद से घर को भर्ती हैं।
एक और एक ग्यारह का मतलब
छोटी-छोटी बातों से मिलता गर
हम सब एक जुट हो जाए
तो पार करेंगे हर शिखर.....!
