एक और एक ग्यारह....
एक और एक ग्यारह....
बूँद बूँद जो मिलता साथ
धाराएं तब बनती है।
धारा धारा लिये हाथ में हाथ
एक नदी बनकर बहती है।
पवन का झोंका बहता जब
ठंडी पुरवाई देता है।
साथ में मिलकर खड़े सब कुछ
आंधी तूफान जब चलता है।
जड़ से जड़ मिलकर बढ़े
ज़मीन में जाकर एक साथ गड़े
कल्पवृक्ष बन जाता है।
छाया देने वाला बरगद वो
कहलाता है।
सिख कितनी सुंदर सबको
जीवन के जीवन में मिलती है।
छोटी छोटी मधुमक्खी भी मिलकर
शहद से घर को भर्ती हैं।
एक और एक ग्यारह का मतलब
छोटी छोटी बातों से मिलता गर
हम सब एक जुट हो जाए
तो पार करेंगे हर शिखर..!