बाल मनोविज्ञान
बाल मनोविज्ञान
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एक बात पूछूं माँ
सच्ची सच्ची कहना
तेरा बचपन मेरा बचपन
एक जैसा तो है ना ?
मैं तेरी आँखों का तारा
मेरे सपनों का आकाश है।
सतरंगी सपनों से सजा
एक अंतरिक्ष विशाल है।
माँ तेरा बचपन तो
तितली सा सुंदर होगा ना ?
बाबुली छाँव तले
बड़े प्यार से बीता होगा ना ?
माँ तेरे बचपन में तो
हैवान नहीं थे अब जैसे
नोच नोच कर तोड़ते हैं
कलियों को जो डाली से...
माँ मेरा बचपन तो
डर डर के ही गुजरता है
किस को यहां अपना हूँ
अपना भी इसको लुटता है...