आज हिमालय की चोटी से
आज हिमालय की चोटी से


आज हिमालय की चोटी से
फिर हमने ललकारा है
भारत मां के रक्षक हैं हम
यह हिंदुस्तान हमारा हैं...॥धृ॥
कतरा कतरा खून बहेगा
कतरा कतरा बहाना है।
तेरा साया जो छू लेगा
उस परछाई को मिटाना है।
आज हिमालय की चोटी से
फिर हमने ललकारा है.....॥१॥
अढल, अचल, शांत, शीतल मैं
अंदर लावा खौल रहा है।
बन के लहू तेरी मिट्टी मां
नस नस में अब दौड़ रहा है।
आज हिमालय की चोटी से
फिर हमने ललकारा है .......॥२॥
सरहद पर जो पहरा देता
हर वीर एक हिमाला है।
धरती मां की रक्षा करता
फौलादी हर सिना है।
आज हिमालय की चोटी से
फिर हमने ललकारा है......॥३॥
मेरा मुझसे क्या छीनेगा
तेरी यह औकात नहीं है।
शुरू करें जो तांडव अपना
तेरा... होने वाला अंत यही है।
आज हिमालय की चोटी से
फिर हमने ललकारा है .....॥४॥