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Ranjeeta Govekar

Abstract

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Ranjeeta Govekar

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तू तो है

तू तो है

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तू तो है मिट्टी का पुतला

क्यों खुद को भगवान समझता है

जिसने तुझको बनाया मानव

देख करनी तेरी रोता है


उसने सबको दी एक धरती

पानी और आकाश दिया

तूने तो सब छिन के सबसे

खुद को ही आबाद किया


कर्म जो तुने किए थे

वही तो भुगत रहा है तू 

धरती माँ को रुलाया तुने

तो चैन से कैसे रहेगा तू


तड़पे कितने प्राणी होंगे

जब उनके जंगल तोड़ दिए

परिंदे कुछ ना बोल पाए

जब घोंसले उनके छिन गए


"आ बैल मुझे मार" किया

पर देर अभी तक नहीं हुई

पच्छाताप से धोले मन को

जागो तब ही भोर हुई।


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