अजनबी
अजनबी
अक्सर आमने सामने होते है
फिर भी घूरते है एक दूसरे को
जैसे बरसों से ढूंढ रहे
दोनों एक दूसरे को
यह अजनबी, अजनबी भी नहीं लगते
ऐसा लगता है बरसों से
जानते है यह एक दूसरे को
लाज़िमी है इन्हें इसी
मुलाक़ात की दरकार रही हो
जो पहाड़ों के दहाने से
गिरती नदी को उस मोड़
पर ले आई हो
जहाँ उसका मिलन
उसकी प्रियतम मग्नून
महबूब के आगोश में
खो जाने को बेक़रार हो
यह अजनबी भी
उसी रूहानी प्यार की
कशिश में खीचें जा रहे है
एक - दूसरे में एक दूसरे से...