ऐसे पिता
ऐसे पिता
पिता के आदर्श रूप को,
आत्मसात करना।
परम पिता के बाद,
स्थान तुम्हारा,
इस शब्द को तुम,
आदर्श पिता करना।।
पिता के आदर्श रूप को...
ऐेसा न हो कि,
कदम रखते माहौल,
बदल जायें घर का।
डरा सहमा-सा हर कोना,
ढोंग करें तुमसे बचने का।
पिता रूप में डर न बना के रखना।
यह घर-परिवार है, आपका।
प्यार से सजा के रखना।।
पिता के आदर्श रूप को...
ऐसा न हो कि,
जिस दिन लगों पढ़ाने बच्चों को,
सालों में किसी एक रोज को।।
बस बच्चा उसी दिन पढ़ जायें,
इतना मत डांटना उसको।
बच्चा पढ़ाई और पापा,
दोनों से डर जायें।।
थोड़ा-थोड़ा तुम उसको,
रोज पोषित करना।
आईना हो तुम जिनके लिए,
पहले अपनी छवि की,
धुंधलाहट दूर करना।।
पिता के आदर्श रूप को...
अपने अहम को,
घर के बाहर,
रख कर आना।
मैंने किया...
मैंने किया...
बच्चों पे मत दोहराना।
बच्चों के आगे,
बच्चों की माॅं को,
कदम कदम पे,
अपमानित न कर जाना।।
प्यार से समस्याएँ सारी
सुन तू उनकी लेना।
उनके सपनों को उड़ान देने को,
क्षितिज थाम तुम लेना।
जीवन दाता हो तुम उनके,
जीवन को जीवन ही देना।
अपनी सर्वोच्च भूमिका को,
सर्वोच्चयता की अनंतता देना।
