ऐ छुप-छुप कर तिजोरी भरनेवालों!
ऐ छुप-छुप कर तिजोरी भरनेवालों!
और कितनी बेईमानी करोगे ?
और कितनी धोखाधड़ी का धंधा करोगे ?
अब तो बस, ठहर जाओ,
ऐ छुप-छुप कर तिजोरी भरनेवालों !
क्या तुम नहीं जानते हो कि
एक दिन सबकुछ छोड़कर
ऊपर की दुनिया में जाना है... ??
और कितनी बेईमानी करोगे ?
क्या पाओगे तुम यूँ दुसरों की
मजबूरी का गलत फायदा उठाकर... ???
किसी के मुँह से उसका निवाला छिनकर
अपने 'एअर कन्डिशन्ड' कमरों में
बेफिक्री से आराम फरमाकर
इस समाज और देश को रातोंरात बदलले
का 'ख्याली पुलाव' पकाकर
सीधेसादे-भोलेभाले लोगों को
बेवकूफ बनाना तो कोई
तुम लोगों से सीखे... !
क्या अच्छा तमाशा दिखाते हो... ???
तुम्हारी दकियानूसी
विचारधारा की वजह से
आज भी हमारे तथाकथित
आधुनिक समाज में
आडंबरों का तांता
लगा हुआ है...
जिसके वशीभूत हम
अपनी कल्पना की परिधि से भी
बहुत पीछे चल रहे हैं... !!
यही बदनसीबी है कि
दिखावे के दौलतमंद लोग
अक्सर अंदर से बहुत ही ग़रीब होते हैं...!!
उन्हें तो बस, कोई भी हथकंडा अपनाकर
बस दिन-रात अपनी तिजोरी भरना है !!!
