अगर तुम साथ हो तो कैसा हो
अगर तुम साथ हो तो कैसा हो
सुबह होती सुनहरी
हर रात बेअसर
बस तेरा हाथ
पकड़ूँ कसकर
लगाने वाले दौडू मैं
तू धुएं से उसी हवाओं में
तुझे ढूंढू जहां मे
और तू बैठी हो मेरी निगाहों में
पास तेरे हर पहर का हर लम्हा हो
बस यही दुआ मांगता हर लम्हा हूं
इश्क की इनायत है तू और
मैं तुझे यादों की कब्र में कैद करता हूं।

