अगला दिन
अगला दिन
लोग पैदल में चलें
नजदीक हो जाएगी
इंसानियत
पेड़ बचाना, जरूरी पड़ेगा
आसानी से पानी नहीं मिलेगा
आसमान में नहीं देख सके बादल
फल फूल बनेगा रोग
ऑक्सीजन पैदा करने
फेक्ट्री लग जाएगा।
बिल्डिंग पर झोपड़ी बनेगा
सूख जाएगी नदिया
जंगल जल जाएगा
पहाड़ बाध्य हो जाएंगे
झारने में गिरेगा लर्भा
फल में रस के बदले
मिलेगा जहर।
सूरज आगे चलकर
अग्नि बरसा करेगा
हवा में लगेगा गरमी
धरती चारों तरफ रेत से भरी
बन जाएगी मरुभूमि
पेड़ से पत्ते गिर जाएंगे
जीवन बन जाएगा संकट
आओ, बंधु बनाओ पेड़ को
हर आदमी को जगाओ
पानी रखो , साफ करो बाहर
मदद चाहिए क्योंकि
गिर जाएगा जीवन
अगले दिन ।
