अदना सा प्यार
अदना सा प्यार
तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हारी हूँ ?
शायद नहीं,
अब तो मैं अपनी भी नहीं
तुम्हें पाने के कोशिश में
खुद को मिटाती रही
और मिट कर भी कभी तुम्हारी न हो सकी
क्योंकि,तुम्हें तो प्यार बस अपने अहम से है
और हर बार मेरा प्यार अदना सा रह गया,
तुम हर बार जीते और मैं हर बार हारी
और कुछ यूँ हारी कि
अब तो मैं कभी खुद से भी नहीं मिलती
ना कहीं हूँ ना कहीं थी
क्या कहीं मैं हूँ ????