अबॉर्शन
अबॉर्शन
सच कहूँ तो मुझ सा उस वक़्त कोई हारा ना था
जब अबॉर्शन के सिवा बचा कोई भी चारा ना था।
डॉक्टर ने कहा था, तुम दोनों की जान को ख़तरा है,
मैं रो रहा था, तुम्हारे सिवा कोई और सहारा ना था।
चाहत तो थी कि नन्हा सा मेहमान आ जाए घर में,
मग़र बच्चा तुम्हारी जान से ज्यादा प्यारा ना था।
अपनी पत्नी को सच से रूबरू करवाता भी कैसे,
यही बोल पाया जो बिछड़ गया वो हमारा ना था।
मेरे आँगन में फूल खिल जाता ग़र इनायत होती तेरी,
नाराज हूँ ख़ुदा, डाक्टर हारे थे मग़र तू बेचारा ना था।