Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Meera Raikwar

Romance

4  

Meera Raikwar

Romance

अभिसारिका

अभिसारिका

1 min
223


ख्यालों में उनके खोकर गोरी चली है

मिलन की राह पर अभिसारिका बन चली है


नपे तुुुले कदम रखती 

मन ही मन छबि निहारती

कभी मुस्काती सकुचाती

मिलन को बागों की राह चली है


पग घुंघरू बज रहे हैं

मन प्यार का अबीर लिए

पथ पर रंग खेलत प्यार का

लजाती सकुचाती बार बार

निश्वास छोडे गोरी चली है


चंद्रमा की धवल चांदनी

महकती कुंज की डारी डारी

प्रतीक्षारत देख प्रेेमी को

मौसम हो गया फाल्गुनी

मदहोश इठलाती गोरी चली है


मन प्यार अबीर उडा हुआ सिंदुरी

देह भी कंपित हुई अधुरी

 जब प्रिय ने बांध बाहुपाश में

ले चुम्बन मिलन की रश्म की पूरी

खो होश बावरी गोरी चली हैै।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance