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Meera Raikwar

Romance

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Meera Raikwar

Romance

अभिसारिका

अभिसारिका

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ख्यालों में उनके खोकर गोरी चली है

मिलन की राह पर अभिसारिका बन चली है


नपे तुुुले कदम रखती 

मन ही मन छबि निहारती

कभी मुस्काती सकुचाती

मिलन को बागों की राह चली है


पग घुंघरू बज रहे हैं

मन प्यार का अबीर लिए

पथ पर रंग खेलत प्यार का

लजाती सकुचाती बार बार

निश्वास छोडे गोरी चली है


चंद्रमा की धवल चांदनी

महकती कुंज की डारी डारी

प्रतीक्षारत देख प्रेेमी को

मौसम हो गया फाल्गुनी

मदहोश इठलाती गोरी चली है


मन प्यार अबीर उडा हुआ सिंदुरी

देह भी कंपित हुई अधुरी

 जब प्रिय ने बांध बाहुपाश में

ले चुम्बन मिलन की रश्म की पूरी

खो होश बावरी गोरी चली हैै।


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