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अभी अरमान हैं बाक़ी..

अभी अरमान हैं बाक़ी..

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लबों तक आते आते 

कितने प्याले टूटे हैं साक़ी 

शायद ज़िंदगी में अभी

कई इम्तिहान हैं बाक़ी


जाम बिखर भी जाए 

तो क्यूँ करना ग़म 

समेटने को बूँदे ज़मीन से 

अभी बहुत जान है बाक़ी 


प्याले हैं काँच के सब

सो अक्सर टूट जाते है 

किस बात की हो उदासी 

दिल में जब अरमान हैं बाक़ी !



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