अब यह मौन तोड़ना होगा
अब यह मौन तोड़ना होगा
वक्त बीतता जा रहा, अंधेरा जीतता जा रहा
बेबस सी है जिंदगी, शिकंजा कसता जा रहा,
अब यह मौन तोड़ना होगा, अब कुछ बोलना होगा,
सप्तपदी के उन वचनों का अर्थ होता जा रहा,
सिर्फ परिणीता कहलाना मंजूर नहीं,
व्यक्तित्व मेरा खुद की पहचान खोता जा रहा,
प्रेम चुनूं या स्वाभिमान अब यह सोचना होगा।
निराशा के गहरे तम को हरा,
मुझे उजाला खोजना होगा।
अपने खोए अस्तित्व को मुझे ढूंढना ही होगा,
अब यह मौन तोड़ना होगा, अब कुछ बोलना होगा