STORYMIRROR

Dr vandna Sharma

Romance

3  

Dr vandna Sharma

Romance

अब ऐसा क्यों है ?

अब ऐसा क्यों है ?

1 min
321

आईना तो पहले

भी देखती थी 

तब तो ऐसा ना था 

अब ऐसा क्यों है ?

खुद को निहारना,

फिर शर्माना 

हलके से मुस्कराना 

उनकी यादों में खो जाना 


अब अपने चेहरे में 

दिखता है अक्स उनका 

प्रेम है ये उनका 

या मेरा पागलपन 

अब उनकी नज़रों से 

खुद को देखा करती हूँ 


जाने कहाँ खो जाती हूँ 

होकर यही, यहीं हूँ 

आईना तो वही है 

मैं भी वही हूँ 

तब तो ऐसा ना था 

या तो मैं बदल गयी हूँ 

या बदल गया ये आइना 

नहीं बदल गयी है ये ज़िंदगी 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance