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Kanchan Jharkhande

Abstract

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Kanchan Jharkhande

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आया सावन झूम के

आया सावन झूम के

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पोषम पा भई पोषम पा

देखो सावन झूम के आया

अब तो भाग के जाना पड़ेगा

झूल के झूला आना पड़ेगा


ओ री पुष्पा ओ री सुषमा

जल्दी से गोल घेरा बनाओ

फुगड़ी फुगड़ी खेलेंगे हम

साथ में मेला घूमेंगे हम


चार आने की चूरन पुड़िया

एक आने तू दे

एक आने गुड़िया

ओ भइया जऱा ठीक भाव लगाना


कम पैसे है, पर हमें है खाना

दौड़ के चिंटू झट से आया

साथ में एक गुब्बारा था लाया

ओ हामिद तुम भी कुछ बोलो


मुठ्ठी क्यूँ बन्द है, इसे खोलो

हामिद औजार की दुकान चला आया

सबसे ज्यादा उसे चिमटा भाया

क्योंकि था उसे दादी से प्यार


हामिद हिचकिच सिर झुकाये

मोटू गपगप जलेबी खायें

किट्टू कोई गुड़िया लेकर


हाँ पुष्पा को जीभ चिड़ाये

सब ने मिलकर खूब मेला घुमा

सावन का खूब मजा लुटा।


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