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Sumit. Malhotra

Tragedy

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Sumit. Malhotra

Tragedy

आवाज़ की ख़ामोशी

आवाज़ की ख़ामोशी

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नारी अबला नहीं सबला है,

मर्दों को ये बात समझनी है।


आवाज़ की ख़ामोशी इतनी,

अब वर्तमान में बोलेंगी नारी।


बहुत कर चुके हम अत्याचार,

नारी माँगती समान अधिकार।


बचपन में करते कंजक पूजन,

बड़े होते करें इज्जत तार-तार।


हमारे देश में नारी है देवी समान,

हकीक़त में मानें हम देवी समान।


उस दिन देश सच में हो आज़ाद,

रात में नारी समझें ख़ुद महफूज़।


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