आस्था को बिकते देखा है !
आस्था को बिकते देखा है !
तुम कहते हो नर सेवा,नारायण सेवा
इंसान की सेवा, भगवान की सेवा !
दुनिया के दांत छलावा,
ये कैसा है दिखावा !
मरती बिटिया की माँ को इलाज की
दो कौड़ी के लिए बिलखते देखा है,
और मैंने साहब, मंदिर मस्जिद में
भगवान के नाम करोड़ों चंदा बँटते देखा है।
कराह रही एक ज़िन्दगी को
बेहाल दम तोड़ते देखा है,
हां जी मैंने धर्म के नाम पर
ईश्वर को लुटते देखा है !
क्या बात कहते 'स्नेहाकांक्षी',
इंसानियत क्या खाक यहां टिकती है ?
जब ईश्वर के साथ साथ
यहां आस्था भी बिकती है !
प्राणी को प्राणी का मोल नहीं,
पत्थर की मूरत है अनमोल,
नर जो ना समझे नर की पीड़ा,
फिर नारायण का क्या समझे मोल !