आसमान से मोहक
आसमान से मोहक
आसमान से मोहक
संदेशा आया है
सुन सखी क्या सचमुच
बसंत आया है
गगरी लेकर जब में
पनघट की ओर निकली तब
खेत की सोंधी मिट्टी से
खुशबू की बयार आ रही थी
मेरे अंग अंग में
हिलोर उठ रही थी
तितली कलियों पर
मुग्ध हो रही थी
तभी
हवा का मादक झोंका
सुखद संदेशा लाया है
सुन सखी क्या सचमुच
बसंत आया है
चिड़ियों की चह चहाट में
हम संगीत के स्वर सुन रहे हैं
भंवरे की गुन गुनाहट में
सरगम के स्वर उठ रहे हैं
जब आसमान से केसरिया
रंग धरती पर उड़कर आता है
तब खेतों और खलिहानों में
गेरुआ चादर बिछ जाती है
ऐसी ही मस्ती के आलम में
आज सुबह परदेश गए
पिया ने द्वार खटखटाया है
सुन सखी सुन क्या
सचमुच बसंत आया है।