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Akanksha Srivastava

Inspirational

4  

Akanksha Srivastava

Inspirational

मैं एक नारी हूं

मैं एक नारी हूं

2 mins
90

बहुत मुश्किल होता है 

नारी जीवन जीना

हर तरफ निभाना सम्भालना 

ब्याह कर के पराया कर देना

हर रिश्ते को संवारना

जब हो 

सासरे में निभाना,

पर सासु माँ जब थोड़ा सा

प्यार दिखाये तो 

मन लग जाता है उस 

अपने घर मे जो अभी पराया है।


और जब सासु माँ प्यार दिखा के

पीहर में कहतीं है कि 

बहुरिया के बिना घर सूना है जल्दी भेज दें

तो ऐसे में पीहर वाले 

कहते हैं कि 

लाडो रुक जा अभी तो आयी है।

ऐसे भी क्या जल्दी 

ये भी तो तेरा अपना घर है

हम पराये कब से हो गए।


पर जब सासु माँ ताने दे के

बोल दे कि कब आएगी

तुझे तो कुछ सुध 

ही नही 

तो पीहर में भी कोई रोकता नही

कह देते हैं सब

तू तो पराया धन है

कब तक रुकेगी।

बड़ा भारी मन हो जाता है पल भर में

कितनी भावनाएं आहत हुई जाती है ।


कितना अच्छा लगता है जब

देवर ननद बुलाने की मनुहार करते हैं 

तब भाई बहन कहते हैं रुक न 

अभी तो बल्लू की दुकान पर 

गोलगप्पे भी नही खाए।

पर जब देवर ननद तंज कसे की 

की वही रुक जाना भाभी 

तब छलक जाए नैन

और भाई बहन बोले कि 

जाओ सम्भालो अपना चूल्हा चौका

तो छूटने लगता है पीहर


जब ससुर जी बोले मुझे बेटी बहु में भेद नही

कुछ दिन रह के आने को

तो बाबा भी स्नेह दिखा के बोलते की

तेरे जाना तो एक रस्म है पगली 

तू तो अब भी मेरी गुड़िया है

पर जब ससुर जी गुस्सा करें

कहा था तो भेजा क्यों नही समधी जी ने

तो बाबा भी कहे जा बेटी अपने घर

ये तो कुछ दिन का ठिकाना था तेरा

तेरे वहाँ जाने से बने रहेंगे दोनो घर


तब समझ आया कि 

असल मे ससुराल में मिली 

इज़्ज़त ही

मायके में प्यार दिलाती है।

तभी दोनो जगह पिसती औरत 

कभी एक ओर न झुक पाती है।

धीरे धीरे सब अधिकार खत्म हो जाते हैं

पीहर में

और दोनों को बनाये रखने में खुद को

खो देना पड़ता है।



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