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Sudershan Khanna

Inspirational

4  

Sudershan Khanna

Inspirational

दरख्त

दरख्त

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तूफान जिंदगी के इतने झेले 

कि तूफान भी दोस्त बन गए

पर जिसके लिए दर-दर भटका 

वो किसी और के हो गए

सुन ऐ जिंदगी 

कुछ तो करामात कर

सुकून की बरसात कर

वक़्त दूर नहीं जब कब्र में सो जाऊंगा 

मैं लम्बी तान कर!

 

ऐ खुदा गुजारिश है तुझसे 

मुझे अगली जिन्दगी में 

दरख्त ही बनाना

क्योंकि उम्रदराज दरख्तों के साये में 

जिन्दगियां छांह पा लेती हैं

एहसान फरामोश इंसान 

कभी किसी के काम आए 

या न आए

दरख्त तो कटने के बाद 

उन्हें काटने वालों के भी 

काम आ जाते हैं

 

ये दरख्त ही तो हैं 

जो पतझड़ में 

अपनों के बिछड़ने पर 

सिसकते नहीं

पत्तियां झड़ें, डालियां कटें 

फिर भी कहीं 

शिकन का नहीं 

होने देते दीदार

जला दी जाएं इनकी पत्तियां 

झोंक दी जाएं आग में इनकी डालियां

कोई शिकवा नहीं इन्हें किसी से 

किसी से ये कोई 

शिकायत नहीं करते।

 

जमीं की मिट्टी, सूरज की रोशनी 

आसमां से पानी पाकर 

बड़े हुए ये दरख्त

पत्थर खाकर, 

लुट कर भी ये 

भरते हैं झोलियां 

मगर कोई रंजो-गम नहीं

क्या इंसान, 

क्या जानवर, 

क्या परिंदे 

किसी में भी करते नहीं 

ये फर्क कोई

ये ख़ुदा की दूसरी मूरत हैं पर 

नहीं मांगते किसी से भी 

सजदा-ए-शुकराना!

 

कैसा अजीब है ये इंसान 

सांसें देने वाले की 

सांसें काटता जा रहा है

रोना रोता है 

ख़राब हवाओं का 

दरख्तों को 

नेस्तनाबूद करता जा रहा है

खुद को समझ कर 

इस धरती का खुदा 

दरख्तों को कर रहा 

उनकी जड़ से जुदा

इन्हीं की आबोहवा में 

जिन्दगी पाने वाले 

उठ जाग, कर खुद को 

होश के हवाले!

 

अरे ओ आज के इंसान 

अपनी अकल का 

कुछ कर इस्तेमाल

खुद ही अपने हाल से 

न हो बेहाल 

उम्रदराज दरख्त 

उम्र भी बांटा करते हैं

यकीन आसानी से 

इस बात पर तो 

तुझे शायद कभी होगा नहीं

कभी दरख्तों के साये में 

बैठ के देख 

न हो जाये इश्क दरख्तों से 

तो मेरी हस्ती मिटा देना ।



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