Shruti Sharma

Inspirational

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Shruti Sharma

Inspirational

मैं एक नारी हूँ ।

मैं एक नारी हूँ ।

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मैं जीवन दायिनी, मैं ज्ञानदायिनी,

मैं सौभाग्यशाली हूँ। 

सुनो मैं एक नारी हूँ।


मेरे जन्म लेते ही 

"बधाई हो घर में लक्ष्मी आई है" कहा जाता है।

परंतु क्या यह समाज के ज़ुल्म सह पाएगी ?

ये ख्याल अगले ही पल उम्र भर का बोझ बन जाता है।


मुझे चलना है कैसे, हँसना है कहाँ 

एक हद में रहना सिखाया जाता है,

अगर मैं समाज के ये तौर तरीके सीख जाऊँ 

तो ही मैं संस्कारी हूँ

सुनो मैं एक नारी हूँ ।


विचारों से शक्तिशाली न बन जाऊँ मैं कहीं

बस इसीलिए मुझे शिक्षा से वंचित किया जाता है 

'तुमसे यह नहीं होगा' ऐसा कहकर 

मुझे कमजोर साबित किया जाता है

परंतु मैं मन से धैर्यवान व सुविचारी हूँ

मैं एक नारी हूँ।


कपड़ों के नाप से मेरे चरित्र का

अनुमान लगाया जाता है...

किशोरावस्था आते ही 2 गज का वसन

मेरा बदन ढकने के लिए दिया जाता है ,

अदब में रहा करो "लोग क्या कहेंगे"

कहकर मुझ में अनावश्यक भय जगाया जाता है।

मगर कोई क्यों नहीं समझता कि मैं भी तो प्राणी हूँ ।

हाँ मैं एक नारी हूँ।


बेख़ौफ़ होकर घूमने की इजाजत ही कहाँ मुझे ?

मेरे घर से निकलते ही तृष्णा की नज़र से देखा जाता है ,

भीड़ में जबरन मेरे तन को स्पर्श किया जाता है...

सुनसान राह पर निकल जाऊँ तो 

हैवान दरिंदों द्वारा मेरे बदन को नोचा जाता है ।

उस वक़्त मैं क्रोधी होकर भी लाचारी हूँ 

हाँ मैं एक नारी हूँ।


विवाह की आड़ में मेरे सपनों को रौंदा जाता है ,

अभी तो ये दुनिया समझी ही थी

अब फिर दूसरी दुनिया को समझने का

पाठ सिखाया जाता है..

मैं दूसरों की ख़ुशी के लिए अपनी ख्वाहिशों का

जिक्र तक नहीं करती,

थकती भी हूँ मगर एक उफ़्फ़ तक नहीं करती..

मैं परोपकारी हूँ , मैं कल्याणकारी हूँ।

हाँ मैं एक नारी हूँ।


बस यही कहना है मेरा समाज से,

शपथ लेती हूँ आज से...

कि मैं पढूंगी, मैं बढ़ूँगी 

दानवों के लिए दुर्गा रूप भी धारण करुँगी 

इज़्ज़त दोगे तो ही सम्मान दूंगी 

ये जीवन मेरा है और

मैं इसे अपनी शर्तों पर जीने की अधिकारी हूँ।

हाँ मैं एक नारी हूँ ।



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