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Shahana Parveen

Inspirational

4  

Shahana Parveen

Inspirational

"मैं एक नारी हूँ"

"मैं एक नारी हूँ"

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जी हाँ! मैं एक नारी हूँ।

ना जाने कितने रहस्य छुपे हैं,

मेरे हृदय मेंं

मैं एक नारी हूँ।

पिता की लाडली हूँ मायके में,

माँ का मै प्यार- दुलार हूँ।

भाई की मैं राखी कहलाती,

सखियों में बेमिसाल हूँ।

मैं एक नारी हूँ।

निभा रही हूँ हर रिश्ते को ,

बड़ी कुशलता के साथ।

बेटी से बन जाती पत्नी,

पत्नी से बनती फिर माँ।

मैं एक नारी हूँ।

मुझसे ही है संसार का अस्तित्व,

यदि मैं नहीं तो यह सुंदर रचना नहीं।

तेज़ाब डालकर मुझ पर पुरूष,

अधिकार जमाना चाहता है।

यदि मैं नहीं समझो पुरूषों की पहचान नहीं।

मैं एक नारी हूँ।

अंधेरी रातों में बिस्तर पर,

मैं करती हूँ तन-मन से सेवा पति की।

जब तक नहीं हो जाती मैं बूढ़ी,

देखभाल करती मैं परिवार की।

मैं एक नारी हूँ।

महीने में आने वाली उलझनें,

पेट दर्द, सिर दर्द दे जाती हैं मुझे।

पर मैं नहीं करती शिकायत किसी से,

उन दिनों की कठोर तपस्या,

झिंझोर कर रख देती है मुझे।

मैं एक नारी हूँ।

नौ महीने गर्भ में शिशु को मैं रखती हूँ,

सो नहीं पाती ठीक से मैं पर ,

नहीं किसी से कुछ भी कहती हूँ।

भूल तकलीफे, नये सपनो के साथ मैं जीती हूँ।

मैं एक नारी हूँ।

कोमल हृदय मेरा पर कमज़ोर नहीं हूँ मैं,

माँ, बेटी, बहन, सहेली, पत्नी हूँ पर,

भोग की वस्तु नहीं हूँ मैं।

अन्याय नहीं मैं सह सकती।

समय पड़ने पर दुर्गा- काली हूँ मैं।

मैं एक नारी हूँ।

जी हाँ! मैं एक नारी हूँ।


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