अंधविश्वास
अंधविश्वास
आज भी अंधविश्वासों में
जकड़ी हुई है दुनिया
न जाने कितने तंत्र मंत्र में
भरी पड़ी है दुनिया।
कई डिग्रियां लेकर मनुष्य
पहूंच गया आधुनिक युग में
पर सोच वहीं धरी रह गई
जकड़ी रूढ़िवादी युग में
आज पूरा का पूरा विश्व
लड़ रहा है कोरोनावायरस से
पर हमारा देश इसके साथ लड़ रहा
कई अंधविश्वास की बीमारियों से
आज भी हमारे देश में
पेड़ों पर धागे बांधकर
लोग मन्नत मांगते हैं
नींबू मिर्ची को लटका कर
दरवाजे पर टांगतें हैं
बुरी नजर लग जाती है तो
टोटकें करवाते हैं
कई बीमारियों के लिए
झाड़-फूंक करवाते हैं
किसी काम के लिए जाते समय
अगर कोई पीछे से टोक दे
या फिर कोई छींक दे
तो हम कुछ देर के लिए
वहीं रुक जाते हैं
चाहे लेट क्यों ना हो जाए
आगे बढ़ने से कतराते हैं
अगर काट दे बिल्ली रास्ता
तो हम वहीं रुक जाते हैं
किसी जरूरतमंद की मदद
करें ना करें पर
मंदिर मिलें तो झुक जाते हैं
डायन बिसाहन की प्रथा पर
इंसान को बलि चढ़ातें हैं
शुभ कार्य करने से पहले
दही खाकर जाते हैं
पाप के डर से मच्छर
भी नहीं मार पातें हैं
आज हम विज्ञान के चमत्कार की
रोशनी में जी रहे हैं पर साथ
में कई अंधविश्वास की
लकीरें भी पीट रहे हैं
हम आज भी ऐसे
समाज में जीते हैं जहां
पत्थर की मूर्तियों को
लगतें हैं कितनें भोग
ना जाने कितने भूखे नंगे
तड़प कर मर जाते हैं रोज
बरसों पहले अशिक्षा थीं
अंधविश्वास का कारण
पर आज आधुनिक युग में भी
लोग शिक्षित होते हुए भी
ना कर पाए इसका निवारण
आज के शिक्षित लोग भी
अखबार जो पढ़ रहे हैं
राशिफल को मानकर
अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं
अगर ज्ञान चाहिए तो
रामायण गीता और कुरान पढ़ों
ढ़ोगी, पंडित, बाबा, मौलवी के
चक्कर में यूं ना पड़ो
ये अंधविश्वास हमें
कमजोर बनाता है
सफलता के मार्ग में
सदा अड़ंगा लगाता है
आज बाहर से आदमी जिंदा
और अंदर से मरता जा रहा है
खुद पे शंका और अनजान पर
अंधविश्वास किए जा रहा है
जाने कितनें लोग चढ़ जाते हैं
अंधविश्वास की वेदी पर
आत्मविश्वास की उड़ाकर धज्जी
चढ़ा देते हैं खुद को सूली पर
इंसान तुम्हें उजालें में
सदैव आगे बढ़ना है
अंधविश्वास से मरना नहीं
तुम्हें विश्वास से जीना है।