" आपके दिल का अचार बनाना है ? "
" आपके दिल का अचार बनाना है ? "
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हम अपने पर्दों के पीछे रहकर ही
अपनी छवि लोगों के सामने रख सकते हैं !
लोगों से दूर रहकर सकारात्मक भंगिमाओं को
जमाने को दिखला सकते हैं !!
इस डिजिटल के दौर में
जब हम एक दूसरे को भली -भांति जान नहीं सकते !
तो आपकी चाहत,आपकी रफ्तार और जुनून को
भला कैसे पहचान नहीं सकते ?
रंगमंच पर आपके अभिनय को देखकर
हम मंत्रमुग्ध होकर तालियाँ बजाते हैं !
आपकी कलाओं की प्रतिभाओं को देख
दर्शकों के हृदय जुड़ते हैं !!
पर डिजिटल प्रतिभाओं को हम
फ़ेसबूक के रंगमंचों में ही निहार सकते हैं !
आप खुद क्या हैं ? किस ख्याल के हैं ?
हम आपकी लेखनी से पहचान लेते हैं !!
अशोभनीय कुछ लिख के कहते हैं कि
दिल हमारा साफ है सबको बताना है !
आपको तो हमने देख लिया जान लिया
अब क्या आपके दिल का अचार बनाना है ?
भूलकर भी कर्कश्ता के बोल बोल कर
किसी को आहत नहीं करना !
मृदुलता, आदर, सत्कार की बातों से
सबको इस रंगमंच पर सम्मान ही करना !!