आप की दुनिया
आप की दुनिया


आप की दुनिया मे आये तो
खो गये इसके ड्रैसटिक सम्मोहन में
जमीन से आकाश तक
जाल सा फैला हुआ है
आप की दुनिया का सम्मोहन
खोये खोये ही बात किये आप से
मिलते रहे आप से
देखते रहे आप को
समझते रहे आप के सम्मोहन को
खोये खोये ही ढूंढते रहे खुद को
एक सन्देश जो था कि
तुम्हे तुम्हारी जरूरत है
और जब मुलाकात हुई खुद से
तो जाना कितना जरूरी था मैं
खुद को।
अब जब याद आती है
आप की दुनिया के ड्रैसटिक सम्मोहन में खो जाने की ।
कितना फर्क है मुझमें
जब आया तब से अब तक
लगता है
आप की दुनिया से भी
सम्मोहक एक दुनिया है
आप के अंदर
और आप भी अपनी दुनिया के
सम्मोहन में खोये हुये हैं
कितना अच्छा लगता है
सम्मोहन,और उसमें खोये खोये रहना।
ऐसे में खुद से मिलना
तो एक जादुई सम्मोहन है।
कहाँ दुनिया का ड्रैसटिक सम्मोहन
और उसमे खो जाना
कहाँ जादुई सम्मोहन
खुद को पा जाना।