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Atiendriya Verma

Romance Classics

3  

Atiendriya Verma

Romance Classics

आओ कुछ बाते करें

आओ कुछ बाते करें

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रात्रि का मौसम है 

चांद की रोशनी हैं

सितारों का आँगन हैं

बदलों का हल्का सा पहरा है 


ठंडी हवा चल रही है 

हल्की तुम्हारी जुल्फे उड़ रही हैं

खामोश मैं भी हूं खामोश तुम भी हो 

देख तुम्हें नजर भर कर रहे है 

मानो ये रात फिर कभी ना आए 


आँखें तुम्हारी सितारों जैसी 

घनी छाँव जैसी जुल्फें तुम्हारी 

माथे की छोटी सी बिंदिया मानो छोटा 

चांद हो 

कंगन तुम्हारे जुगनू जैसे 

बालियाँ तुम्हारी आइने जैसी 

और मुस्कान तुम्हारी किसी ब्रह्म कमल जैसी 


रात सुनहरी है 

तेरा साथ है 

पसंद का खाना तेरी बना है 

खिला हम रहे हैं 


सवाल कुछ तुम पूछो 

सवाल कुछ हम पूछे 

जवाब सच ही देंगे 

आखिर झूट तुमसे छुपाया नहीं जाता 


सोच रहे हैं हाल-ए-दिल बता दें

जानते हैं उनकी फीलिंग्स को 

आखिर उनकी आंखें जो पढ लेते हैं

कहने से पहले ही समझ जाते हैं 


तो करते हैं हाल-ए-दिल बयाँ

कुछ इस तरह

वो दरवाजे पे आई कोई मानो

अंधेरे में रोशनी लाया हो 

कुछ इस तरह उसकी बाते छू जाती हैं 

मानो मां की लोरी हो 

कुछ इस तरह उसकी हँसी हमारे 

दिल को मुस्कुरा देती है मानो 

बच्चे को पहला खिलौना मिल गया हो 


कुबूल है तुम्हारी मोहब्बत 

इजहार करते हैं हमनशी 

बन जाओ तुम हम दर्द 

कुछ पल या कुछ लम्हों का नहीं 

जिंदगी भर का 

कि छुपालो हमें अपनी बाहों में 

ताउम्र के लिए।


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