आओ जरा जी लें
आओ जरा जी लें
आओ नीरसता में कोई रस का संचार करें !
ओठों को खुलने दो कंठों से कोई राग करें !!
कब तक यूं वीभत्स रगों को हम अपनाएँगे !
हम क्यूँ ना अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल करें !!
रोना हँसना सबको आता है, पर हँसना सबको भाता है !
तो हम क्यों क्रंदन करते हैं, जब हँसना अच्छा लगता है !
आओ हँसकर नस नस में प्रेम का उद्गार भरें
ओठों को खुलने दो कंठों से कोई राग करें !!
कब तक यूं वीभत्स रगों को हम अपनाएँगे !
हम क्यूँ ना अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल करें !!
कल जो होगा उसको होने दो, आज सबको मौज मनाने दो !
जीवन को भरो यूं ख़ुशियों से, आशाओं के महल बनाने दो !!
आओ मिलकर रंगों से तस्वीरों में रंग भरें !
ओठों को खुलने दो कंठों से कोई राग करें !!
कब तक यूं वीभत्स रगों को हम अपनाएँगे !
हम क्यूँ ना अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल करें !!
गतिशील बिना निष्क्रिय जीवन, सकारात्मक सोच बिना ये मन !
सब कुछ बेकार कहेगा हरदम, खो जाएंगे मेरे सब तन मन धन !!
आओ हम व्यक्तित्व को चमका के शृंगार करें !
ओठों को खुलने दो कंठों से कोई राग करें !!
कब तक यूं वीभत्स रगों को हम अपनाएँगे !
हम क्यूँ ना अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल करें !!