आओ हम कसम खाएं
आओ हम कसम खाएं
आओ हम कसम खाएं
आओ हम कसम खाएं
अबके होली कुछ इस अंदाज़ में मनाएं
किसी की बेरंग जिंदगी को
रंग-बिरंगे रंगों से सजाएं।
आओ हम कसम खाएं
अबके होली कुछ इस अंदाज़ में मनाएं ।
बूढ़ा, यतीम, बेज़ार और लाचार
आस में तांकती हमारी ओर
जो आँखें चार
अपनी पिचकारी से उड़ेले
रंग हम कई हजार।
आओ हम कसम खाएं
अबके होली कुछ इस अंदाज़ में मनाएं ।
दीन हीन, भूख से बेहाल
मिला राह में जो भी कोई फटेहाल
हवाले करें उनके, मिठाइयों से भरे थाल।
आओ हम कसम खाएं
अबके होली कुछ इस अंदाज़ में मनाएं
पथराई आँखों से निहारते
शहीदों के परिजन
खो दिये हैं जिन्होंने,
हमारी खातिर अपने प्रियजन
कहाँ लगते हैं शहीदों की
चिताओं पर मेले सरेआम
समर्पित करते हैं इस होली
के रंग उन्हीं के नाम।
आओ हम कसम खाएं
अबके होली कुछ इस अंदाज़ में मनाएं।