Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

4.5  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

"आंखों से बह रहा,समंदर है"

"आंखों से बह रहा,समंदर है"

1 min
360


बहुत ही बदला बदला हुआ, यह मंजर है

किसान की आंखों से बह रहा समंदर है

क्यों रब तूने घोंप दिया, पीठ में खंजर है?

पूरे वर्ष की मेहनत बह गई पानी अंदर है


ये बेमतलब की बारिश, चुभा रही नश्तर है

कैसे चुकाऊंगा बनिये का कर्ज, मन भर है?

बेटी की शादी का खर्चा भी सर ऊपर है

पर बेमौसम की बारिश लूट लिया घर है


सोचा था होगी पैदावार बड़ी ही बम्पर है

चुका दूंगा सबका कर्जा होकर निड़र है

पर परमात्मा तूने डाल दिया कैसी डगर है?

दिख न रही मुझे कोई भी मंजिल किधर है


हर ओर दिख रहे केवल पत्थर ही पत्थर है

बहुत ही बदला-बदला हुआ यह, मंजर है

किसान की आंखों से बह रहा समंदर है

फिर भी यकीं, बहा दूंगा पत्थरों से निर्झर है


फसल खोई है, हौसला तो अभी भी भीतर है

जितना डरायेगा, उतना ही खिलेगा शजर है

भूमि पुत्र हूं, लडूंगा, व जीतूंगा जिंदगी समर है

बाजुओं में हौसला गर है, झुका दूंगा अम्बर है



Rate this content
Log in