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Dr.Pratik Prabhakar

Tragedy

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Dr.Pratik Prabhakar

Tragedy

आंखें नम

आंखें नम

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संसार में कोई भी रोए होती आँखें नम

हम मानते क्योंकि वसुधैव कुटुम्बकम।


कहीं आतंक का साया,कहीं भूख की है छाया

हमारा दिल रोता उनके अच्छे के लिए हरदम,

हम मानते क्योँकि वसुधैव कुटुम्बकम।



कहीं युद्ध की स्थिति कहीं गलत है नीति

हम खड़े अनादि काल से कोई तोड़े तो भरम,

हम मानते क्योंकि वसुधैव कुटुम्बकम।




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