आखरी खत
आखरी खत
वह आखरी खत
जो लिखा ही कब था
सत्य है कि मन में लिखा
कल्पनाओं के शव्दों से बना
खूबसूरत अहसास लिये
सचमुच लिखा ही नहीं गया
जितना कोशिश की
हर बार असफल रहा
और या और कुछ बचा
लिखते लिखते रुक जाता
कल्पनाओं के भंवर में पड़ा
अधूरा बना रहा
आज भी अधूरा है
अनेकों कविताओं और
कहानियों का निर्माता
वह आखरी खत।

