आखिर क्यों
आखिर क्यों
मै अकेली
बादलों जैसी
रही भटकती
कई अनगिनत
सवालों में रही
उलझती.............!
सवाल ऐसे जो
मन को हमेशा
रहते कुरेदते
क्यों लड़की
होने के एहसास में
रही सुलगती.....!
जाने क्यों ?
नारियों पर हो रहे
अत्याचार
और यहाँ
की जाती है
माता की पूजा.......!
ये तो
दिखावा
और छलावा ही
लगता है
मन में
माॅ की तस्वीर है
तो क्यों हो रहे अपराध...,,,!
आखिर क्यों ?
कभी दहेज की
बलिवेदी पर
तो कभी
अजन्मे ही
खत्म कर दिया
जाता उसे....,...!
है इसका जबाब !
क्या मानव
कभी भी
नहीं सुन सकेगा
अपने अन्तॆमन की बात.......,!
क्या ऐसे ही
रहेंगे झंझावातों से
उलझते 'सपना'
क्या हमारा जमीर
कभी न जाग पायेगा .........!
