आखिर क्यों
आखिर क्यों
आखिर क्यों पापा
आखिर क्यों
आज मंगलवार का दिन है आपका फोन नही आया
आखिर क्यों
रात के 8 बज चुके
आपके माता के दर्शन हो चुके
फिर भी फोन नही आया
आखिर क्यों
अच्छा चलो आज नवरात्रि शुरू हुई
आपकी प्यारी प्यारी कन्याएं घर आ गई
उनका आशीर्वाद लेना है
आप आशीर्वाद लेने नही आए
आखिर क्यों
आज नही पापा आज नही
आज तो दिन है शुक्रवार का
आखिर आप भूखे रहोगे
तब तक भूखे रहोगे जब तक दरगाह से नहीं आ जाते
आज भी नही आओगे
आखिर क्यों
मैं वादा करती हूँ पापा
मैं किसी को घर पे नही बताऊंगी
की कल आप जयपुर से आ रहे
सुबह के ठीक 7 बज चुके
आज तो आ जाओ पापा
आज भी नही
आखिर क्यों
आपका सूटकेस कहाँ है पापा
मुझे देखना है आप किसके किसके लिए क्या लाए
लड़ना है मम्मी से की ये अब रोमा को नही भेजेगी
अच्छा नहीं लडूंगी
फिर भी नही
आखिर क्यों
पापा आप होटल का खाना खा खा कर थक चुके हो ना
देखो आज मम्मी ने आपका पसंदीदा कढ़ी चावल बनाया है
सब मिलकर बैठे है
जल्दी आओ पापा
आज भी नही
आखिर क्यों
आपको सब के साथ अच्छा लगता है ना
आज पूरा परिवार साथ बैठा है
देखो सब पत्ते खेल रहे आज आप ना नही कह सकते
आज भी नही
आखिर क्यों
पापा आज मैं हिम्मत हार रही
आपने दबंग फिल्म के बाद मुझे कहा था ना
हारना नही है प्रिया
तो आज कहो ना ,आज भी नही
आखिर क्यों
मेरे कर्तव्यनिष्ठ ,दयावान, धैर्यशील पापा
क्या आपका हमारा सफर सिर्फ इतने कम समय का था
इन सब सवालों का जवाब देने भी नही आओगे
आखिर क्यों
आखिर क्यों पापा
आखिर क्यों।